Mediocre Words..Banal Poetry
Mediocre Words..Banal Poetry

cold

आया है फिर से एक और रविवार,
खाओ पकोड़े पियो चाय संग परिवार,
खुशियाँ आपके जीवन में रहे बरकरार,
लेकिन अपनी सिमटी दुनिया में कुछ भूल न जाना यार,
कहीं किसी अनदेखे अनजाने कोने में कोई पशु,
कोई इंसान कंपकंपाता , ठिठुराता है बार बार,
जिसका न कोई परिवार, न घर-बार,
तलवारों से भी तेज है इन सर्द हवाओं की धार,
जो न सिर्फ शरीर, काटती है रूह, मेरे यार…
थोड़ा उठो, रजाई फेंको, जरा ढूंढो तो सही,
कहीं कोई पुराना कम्बल, कोई स्वेटर,
जिसकी न है अब तुझे दरकार,
लेकिन कोई लाचार कर रहा है उनका इंतजार,
बहुत कुछ न सही, कुछ गर्म सुकून के लम्हे ही दे आओ,
कहीं-अनकही दुआओं से,
भगवान तुझे भी देगा खुशियों का भंडार…
🙏

सर्द

दिल्ली की सर्दी में कहीं से एक शरणार्थी महिला , “कजरी” ,अपने छोटे बच्चे के साथ आती है! कोई सहारा और ठिकाना […]