Mediocre Words..Banal Poetry
Mediocre Words..Banal Poetry

खामोशी

छोटी सी गली में, कोने में एक पुराना सा घर,
दीवारें टूटी-फूटी, छत अब गिरी के तब
जहां छुपी है खामोशी डरावनी
और अनसुनी, कर्कश भयानक
हर शाम टूटता है कुछ यहाँ
खड़खड़ाते बर्तन, सिमटियाया सा बचपन
पर्दों के पीछे रोती है वो सिसकती सी
सब चुप है, कोई क्या कहे
जो दर्द अपना नहीं कोई क्यों देखें
बीच में कोई नहीं आएगा
कहीं कोई रोयेगा, मर जाएगा
कोईआँसू पी , आगे बढ़ जाएगा
कल कबाड़ी वाला आएगा
खाली साबुत बोतलें
धड़ल्ले से ले जाएगा
और कुछ टूटे हुए सपनों
के कचरों को दरकिनार कर जाएगा
क्या फ़र्क़ पड़ता है किसी को
आज उसका कल अपना