Mediocre Words..Banal Poetry
Mediocre Words..Banal Poetry

कसक

कुछ दिल टूटने की ऐसी हवा सी क्या चली…
खामोश तूफानों ने भी ली है एक अंगड़ाई…
गुजर गए जो लम्हे वो शायद कुछ खास नहीं थे…
दर्द के वो झोंके हमें कभी भी रास नहीं थे…
कहीं एक चिंगारी उठी और दिल मचल गया….
जुनून की हालत में ना जाने कब पाँव फिसल गया…
होश आया तो साथी छूटा, प्यार का सपना खोया…
फिर दिल टूटा और खून के आँसू रोया…
पल में उसने यूँ भुलाया…
उसकी कसक ने खूब रुलाया…
यार की यारी शायद कच्ची थी..
तड़प तो हमारी सच्ची थी..
हर एक दस्तक पे ये ख्याल आया कि शायद उसका कोई पैगाम आया..
मगर फिर कभी न टकराया उसका साया…
ज़िंदगी बेमानी सी थी खत्म अपनी कहानी सी थी..
तभी किसी ने शायद छुआ प्यार से…
खुदा ने मिलाया सच्चे यार से..
बरसों से तनहा सिसकता था जो मेरा दिल..
आज चहकता है, खिलखिलाता है..
सामने इक दिन आ कर खड़ी हो गई मेरी मंजिल…